गुरुवार, 5 मार्च 2015

निर्भया के गुनहगार...



एक मुकेश
तिहाड़ के अंदर है
वो मुकेश
जिसने बलात्कार किया
जिसने अपने साथियों के संग
निर्भया की क्रूरता से हत्या..
वो मुकेश तो
जेल के अंदर है..
लेकिन 
ऐसे कितने मुकेश
घूम रहे हैं हमारे आसपास
रोज़ाना हमारे शरीर का
आंखों से करते हैं बलात्कार...
ऊपर से लेकर नीचे तक घूरती निगाहें
फब्तियां कसते हुए
हमारे जिस्म को 
छूने के लिए बहाने करते हुए...
सभ्य समाज के सफेदपोश
ना जाने कितने
खून के दाग छिपाए हुए हैं...
वो जो 
हमारे कपड़ों का फैसला करते हैं
हमको जीन्स..शॉट्स...स्कर्ट नहीं पहनना है...
हमारे घर से निकलने का समय तय करते हैं
वो जो 
हमारे आसमान को
हमारी उड़ान को
हमारी आज़ादी को
अपनी घिनौनी..क्रूर और बीमार 
मानसिकता से कुचल देते हैं...
जेल में तो 
सिर्फ एक मुकेश बंद है
वो जो
बलात्कारी है..हत्यारा है
लेकिन 
उन हज़ारों करोड़ों मुकेश का क्या
जो कुंठित हैं...मर्दानगी के नशे में चूर हैं
जो तेज़ाब में बुझे हुए हैं
उनका क्या जो
घरों में बच्चियों को नहीं छोड़ते
उनका क्या जो लड़कियों को संपत्ति समझते हैं
नन्हीं कलियों को खिलने नहीं देते
कैसे बंद कर दूं इन्हें जेल में
जो कुंठित मानसिकता के हैं
बलात्कारी..हत्यारे 
ने तो वही कहा
जो आप सोचते हैं
जो आप कहते हैं
क्यों उसके बयान पर बवाल
क्यों उसके सच पर
इतना हंगामा 
आपका हमारा खून तो
घिनौनी मानसिकता पर खौलना चाहिए
तब तो हम
खामोश रहते हैं
क्यो ?
क्योंकि आईना किसी को रास नहीं आता
रोज़ना ना जाने 
ऐसे कितने मुकेश
देते हैं ऐसी वारदातों को अंजाम
ना जाने कितने माननीयों के तथाकथित बयान
चलाते हैं धड़ल्ले से न्यूज़ चैनल्स पर
तब हमको शर्म क्यों नहीं आती
तब हम बैन क्यों नहीं लगाते
कैसे रोंकेगे समाज में खुलेआम घूम रहे 
घिनौनी मानसिकता वाले मुकेश को..
कैसे लगाएंगे उनकी मानसिकता के प्रसारण पर रोक...

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